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डिविडेंड क्या होता है और कैसे मिलता है? (Know Dividend Meaning in Hindi)

शेयर बाजार में निवेश करने वाले लोगों के लिए डिविडेंड एक महत्वपूर्ण शब्द है। डिविडेंड एक कंपनी के लाभ में से शेयरधारकों को दिया जाने वाला नकद भुगतान होता है। यह कंपनी की सफलता का एक संकेत है, और यह निवेशकों को नियमित आय का एक स्रोत प्रदान कर सकता है इस लेख में, हम डिविडेंड के बारे में मूल बातें समझेंगे, जिसमें यह कैसे काम करता है, यह कैसे निर्धारित किया जाता है, और आप इसे कैसे प्राप्त कर सकते हैं। तो दोस्तों हमारे इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें और शेयर बाजार ऐसे ही नए-नए अपडेट लगातार पाने के लिए हमें फॉलो करना ना भूले।

शेयर मार्केट में डिविडेंड क्या होता है? Dividend meaning in hindi

शेयर मार्केट में डिविडेंड (Dividend) एक प्रकार का इनकम है जो कंपनी अपने शेयरधारकों को अपने मुनाफे में से देती है। यह कंपनी के लाभ का एक हिस्सा है जिसे शेयरधारकों के बीच वितरित किया जाता है। डिविडेंड का भुगतान आमतौर पर नकद में किया जाता है, लेकिन यह स्टॉक या अन्य प्रतिभूतियों के रूप में भी किया जा सकता है।

डिविडेंड की गणना कंपनी के शुद्ध लाभ के आधार पर की जाती है। कंपनी अपने सभी खर्चों को घटाने के बाद जो शुद्ध लाभ कम करती है, उसमें से कुछ हिस्सा डिविडेंड के रूप में अपने शेयरधारकों को देती है।

डिविडेंड का भुगतान कंपनी की बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स द्वारा किया जाता है। बोर्ड डिविडेंड की राशि, भुगतान की तारीख और अन्य शर्तों को निर्धारित करता है।

शेयर मार्केट में डिविडेंड निवेशकों के लिए एक महत्वपूर्ण कारक है। डिविडेंड देने वाली कंपनियां आमतौर पर उन कंपनियों की तुलना में अधिक स्थिर और लाभदायक होती हैं जो डिविडेंड नहीं देती हैं।

शेयर मार्केट में डिविडेंड के कुछ प्रकार निम्नलिखित हैं:

  • नकद डिविडेंड: यह सबसे आम प्रकार का डिविडेंड है। कंपनी अपने शेयरधारकों को नकद राशि का भुगतान करती है।
  • स्टॉक डिविडेंड: इस प्रकार के डिविडेंड में कंपनी अपने शेयरधारकों को अतिरिक्त शेयर जारी करती है।
  • अन्य प्रतिभूतियों के रूप में डिविडेंड: कंपनी अपने शेयरधारकों को अन्य प्रतिभूतियों के रूप में भी डिविडेंड दे सकती है, जैसे कि बॉन्ड या वाउचर।

शेयर मार्केट में डिविडेंड की गणना निम्नलिखित सूत्र का उपयोग करके की जाती है:

डिविडेंड = (शुद्ध लाभ / कुल शेयरों की संख्या) * 100%

उदाहरण के लिए, यदि एक कंपनी का शुद्ध लाभ 100 करोड़ रुपये है और उस कंपनी के कुल शेयरों की संख्या 10 लाख है, तो कंपनी प्रति शेयर 1 रुपये का डिविडेंड देगी।

शेयर मार्केट में डिविडेंड एक महत्वपूर्ण कारक है जो निवेशकों को अपने निवेश से नियमित आय अर्जित करने में मदद कर सकता है।

डिविडेंड को हिंदी में क्या कहते हैं?

डिविडेंड को हिंदी में लाभांश कहते हैं। लाभांश एक प्रकार का इनकम है जो कंपनी अपने शेयरधारकों को अपने मुनाफे में से देती है। यह कंपनी के लाभ का एक हिस्सा है जिसे शेयरधारकों के बीच वितरित किया जाता है। डिविडेंड का भुगतान आमतौर पर नकद में किया जाता है, लेकिन यह स्टॉक या अन्य प्रतिभूतियों के रूप में भी किया जा सकता है।

उदाहरण के लिए, यदि कोई कंपनी अपने शेयरधारकों को प्रति शेयर 1 रुपये का लाभांश देती है, तो एक व्यक्ति जो उस कंपनी के 100 शेयर रखता है, उसे 100 रुपये का लाभांश मिलेगा।

लाभांश को हिंदी में निम्नलिखित शब्दों से भी संदर्भित किया जा सकता है:

  • मुनाफा बांटना
  • मुनाफा बंटवारा
  • लाभांश भुगतान

शेयर मार्केट में, लाभांश एक महत्वपूर्ण कारक है जो निवेशकों के लिए आकर्षक हो सकता है। डिविडेंड देने वाली कंपनियां आमतौर पर उन कंपनियों की तुलना में अधिक स्थिर और लाभदायक होती हैं जो डिविडेंड नहीं देती हैं।

डिविडेंड इनकम क्या होती है?

डिविडेंड इनकम एक प्रकार की इनकम है जो शेयरधारकों को उनके शेयरों के बदले में मिलती है। जब कोई कंपनी अपने शेयरधारकों को अपने मुनाफे में से हिस्सा देती है, तो इसे डिविडेंड कहा जाता है। डिविडेंड का भुगतान आमतौर पर नकद में किया जाता है, लेकिन यह स्टॉक या अन्य प्रतिभूतियों के रूप में भी किया जा सकता है।

डिविडेंड इनकम को निम्नलिखित सूत्र का उपयोग करके गणना किया जा सकता है:

डिविडेंड इनकम = डिविडेंड की राशि * शेयरों की संख्या

उदाहरण के लिए, यदि कोई कंपनी प्रति शेयर 1 रुपये का डिविडेंड देती है और एक व्यक्ति उस कंपनी के 100 शेयर रखता है, तो उस व्यक्ति को 100 रुपये का डिविडेंड मिलेगा।

भारत में, डिविडेंड इनकम पर कर लगाया जाता है। डिविडेंड इनकम पर 15% की दर से टैक्स लगाया जाता है, लेकिन 50 साल से अधिक उम्र के सीनियर सिटीजनों के लिए यह दर 7.5% है।

डिविडेंड इनकम एक महत्वपूर्ण कारक है जो निवेशकों के लिए आकर्षक हो सकता है। डिविडेंड देने वाली कंपनियां आमतौर पर उन कंपनियों की तुलना में अधिक स्थिर और लाभदायक होती हैं जो डिविडेंड नहीं देती हैं।

डिविडेंड इनकम के कुछ लाभ निम्नलिखित हैं:

  • यह एक नियमित आय का स्रोत प्रदान कर सकता है।
  • यह निवेश के मूल्य को बढ़ाने में मदद कर सकता है।
  • यह जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है।

डिविडेंड इनकम के कुछ नुकसान निम्नलिखित हैं:

  • डिविडेंड की राशि कंपनी के मुनाफे पर निर्भर करती है।
  • डिविडेंड की राशि निश्चित नहीं होती है।
  • डिविडेंड पर कर लगाया जाता है।

डिविडेंड इनकम को प्राप्त करने के लिए, निवेशकों को डिविडेंड देने वाली कंपनियों के शेयरों में निवेश करना चाहिए। डिविडेंड देने वाली कंपनियों की पहचान करने के लिए, निवेशक विभिन्न स्रोतों का उपयोग कर सकते हैं, जैसे कि शेयर बाजार की वेबसाइट, वित्तीय समाचार पत्र और पत्रिकाएँ।

Dividend per share क्या होता है?

डिविडेंड प्रति शेयर (DPS) एक प्रकार का डिविडेंड है जो कंपनी अपने शेयरधारकों को प्रति शेयर के आधार पर देती है। यह कंपनी के शुद्ध लाभ के एक हिस्से को दर्शाता है जो शेयरधारकों के बीच वितरित किया जाता है।

DPS की गणना निम्नलिखित सूत्र का उपयोग करके की जाती है:

DPS = (शुद्ध लाभ / कुल शेयरों की संख्या) * 100%

उदाहरण के लिए, यदि एक कंपनी का शुद्ध लाभ 100 करोड़ रुपये है और उस कंपनी के कुल शेयरों की संख्या 10 लाख है, तो कंपनी प्रति शेयर 1 रुपये का DPS देगी।

DPS एक महत्वपूर्ण कारक है जो निवेशकों के लिए आकर्षक हो सकता है। डिविडेंड देने वाली कंपनियां आमतौर पर उन कंपनियों की तुलना में अधिक स्थिर और लाभदायक होती हैं जो डिविडेंड नहीं देती हैं।

DPS के कुछ लाभ निम्नलिखित हैं:

  • यह एक नियमित आय का स्रोत प्रदान कर सकता है।
  • यह निवेश के मूल्य को बढ़ाने में मदद कर सकता है।
  • यह जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है।

DPS के कुछ नुकसान निम्नलिखित हैं:

  • DPS की राशि कंपनी के मुनाफे पर निर्भर करती है।
  • DPS की राशि निश्चित नहीं होती है।
  • DPS पर कर लगाया जाता है।

डीपीएस की गणना कंपनी की बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स द्वारा की जाती है। बोर्ड डिविडेंड की राशि, भुगतान की तारीख और अन्य शर्तों को निर्धारित करता है।

भारत में, DPS को आमतौर पर रुपये प्रति शेयर में व्यक्त किया जाता है।

डिविडेंड का उदाहरण (Example of dividend in hindi)

उदाहरण 1:

कल्पना करें कि एक कंपनी का शुद्ध लाभ 100 करोड़ रुपये है और उसके कुल शेयरों की संख्या 10 लाख है। कंपनी बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स द्वारा प्रति शेयर 1 रुपये का डिविडेंड घोषित किया जाता है।

इस मामले में, डिविडेंड की राशि 100 करोड़ रुपये होगी।

उदाहरण 2:

कल्पना करें कि एक व्यक्ति एक कंपनी के 100 शेयरों का मालिक है। कंपनी प्रति शेयर 1 रुपये का डिविडेंड देती है।

इस मामले में, व्यक्ति को 100 रुपये का डिविडेंड मिलेगा।

उदाहरण 3:

कल्पना करें कि एक कंपनी तिमाही डिविडेंड देती है। कंपनी प्रति शेयर 1 रुपये का तिमाही डिविडेंड देती है।

इस मामले में, व्यक्ति को हर तिमाही 100 रुपये का डिविडेंड मिलेगा।

डिविडेंड की राशि कंपनी के मुनाफे पर निर्भर करती है। यदि कंपनी अधिक मुनाफा कमाती है, तो वह अधिक डिविडेंड दे सकती है। यदि कंपनी कम मुनाफा कमाती है, तो वह कम डिविडेंड दे सकती है।

डिविडेंड की राशि निश्चित नहीं होती है। कंपनी बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स द्वारा डिविडेंड की राशि निर्धारित की जाती है।

भारत में, डिविडेंड पर कर लगाया जाता है। डिविडेंड इनकम पर 15% की दर से टैक्स लगाया जाता है, लेकिन 50 साल से अधिक उम्र के सीनियर सिटीजनों के लिए यह दर 7.5% है।

डिविडेंड यील्ड क्या है?

डिविडेंड यील्ड एक वित्तीय अनुपात है जो यह मापता है कि कोई कंपनी अपने शेयरों की कीमत के लिए कितना लाभांश का भुगतान करती है। इसे प्रतिशत के रूप में व्यक्त किया जाता है।

डिविडेंड यील्ड की गणना निम्नलिखित सूत्र का उपयोग करके की जाती है:

डिविडेंड यील्ड = (लाभांश प्रति शेयर / शेयर की कीमत) * 100%

उदाहरण के लिए, यदि एक कंपनी प्रति शेयर 1 रुपये का लाभांश देती है और शेयर की कीमत 100 रुपये है, तो डिविडेंड यील्ड 1% होगा।

डिविडेंड यील्ड एक महत्वपूर्ण कारक है जो निवेशकों के लिए आकर्षक हो सकता है। डिविडेंड देने वाली कंपनियां आमतौर पर उन कंपनियों की तुलना में अधिक स्थिर और लाभदायक होती हैं जो डिविडेंड नहीं देती हैं।

डिविडेंड यील्ड के कुछ लाभ निम्नलिखित हैं:

  • यह एक नियमित आय का स्रोत प्रदान कर सकता है।
  • यह निवेश के मूल्य को बढ़ाने में मदद कर सकता है।
  • यह जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है।

डिविडेंड यील्ड के कुछ नुकसान निम्नलिखित हैं:

  • डिविडेंड की राशि कंपनी के मुनाफे पर निर्भर करती है।
  • डिविडेंड की राशि निश्चित नहीं होती है।
  • डिविडेंड पर कर लगाया जाता है।

डिविडेंड यील्ड को निम्नलिखित कारकों से प्रभावित किया जा सकता है:

  • कंपनी का लाभांश नीति
  • कंपनी का वित्तीय प्रदर्शन
  • कंपनी का उद्योग
  • कंपनी का आर्थिक वातावरण

भारत में, डिविडेंड यील्ड आमतौर पर प्रतिशत के रूप में व्यक्त किया जाता है।

निवेशक डिविडेंड वाले शेयर में निवेश क्यों करते हैं?

निवेशक डिविडेंड वाले शेयर में निवेश करते हैं क्योंकि वे चाहते हैं:

  • एक नियमित आय का स्रोत: डिविडेंड एक नियमित आय का स्रोत प्रदान कर सकता है, जो निवेशकों को अपने खर्चों को पूरा करने या अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद कर सकता है।
  • अपने निवेश का मूल्य बढ़ाने: डिविडेंड का भुगतान शेयर की कीमत को बढ़ाने में भी मदद कर सकता है।
  • जोखिम को कम करना: डिविडेंड देने वाली कंपनियां आमतौर पर उन कंपनियों की तुलना में अधिक स्थिर और लाभदायक होती हैं जो डिविडेंड नहीं देती हैं।

डिविडेंड वाले शेयरों में निवेश करने के कुछ नुकसान भी हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • डिविडेंड की राशि कंपनी के मुनाफे पर निर्भर करती है: यदि कंपनी कम मुनाफा कमाती है, तो वह कम डिविडेंड दे सकती है या कोई डिविडेंड नहीं दे सकती है।
  • डिविडेंड की राशि निश्चित नहीं होती है: कंपनी बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स द्वारा डिविडेंड की राशि निर्धारित की जाती है।
  • डिविडेंड पर कर लगाया जाता है: भारत में, डिविडेंड इनकम पर 15% की दर से टैक्स लगाया जाता है, लेकिन 50 साल से अधिक उम्र के सीनियर सिटीजनों के लिए यह दर 7.5% है।

कुल मिलाकर, डिविडेंड वाले शेयर निवेशकों के लिए एक आकर्षक विकल्प हो सकते हैं, जो एक नियमित आय, अपने निवेश का मूल्य बढ़ाने और जोखिम को कम करने की तलाश में हैं।

डिविडेंड को समझना क्यों जरूरी है?

डिविडेंड को समझना निवेशकों के लिए इसलिए जरूरी है क्योंकि यह एक महत्वपूर्ण कारक है जो निवेश के निर्णय को प्रभावित कर सकता है। डिविडेंड एक नियमित आय का स्रोत प्रदान कर सकता है, जो निवेशकों को अपने खर्चों को पूरा करने या अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद कर सकता है। डिविडेंड का भुगतान शेयर की कीमत को बढ़ाने में भी मदद कर सकता है।

डिविडेंड को समझने से निवेशक निम्नलिखित कर सकते हैं:

  • अपने निवेश के लिए सही रणनीति चुनें: यदि निवेशक एक नियमित आय का स्रोत खोज रहे हैं, तो उन्हें डिविडेंड वाले शेयरों में निवेश करना चाहिए।
  • अपने निवेश के जोखिम को कम करें: डिविडेंड देने वाली कंपनियां आमतौर पर उन कंपनियों की तुलना में अधिक स्थिर और लाभदायक होती हैं जो डिविडेंड नहीं देती हैं।
  • अपने निवेश के प्रदर्शन का आकलन करें: डिविडेंड यील्ड एक महत्वपूर्ण कारक है जो निवेश के प्रदर्शन को मापने में मदद कर सकता है।

डिविडेंड को समझने के लिए निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए:

  • डिविडेंड क्या है? डिविडेंड एक प्रकार का इनकम है जो कंपनी अपने शेयरधारकों को अपने मुनाफे में से देती है।
  • डिविडेंड कैसे काम करता है? कंपनी बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स द्वारा डिविडेंड की राशि, भुगतान की तारीख और अन्य शर्तें निर्धारित की जाती हैं।
  • डिविडेंड की गणना कैसे की जाती है? डिविडेंड की राशि कंपनी के शुद्ध लाभ और कुल शेयरों की संख्या से निर्धारित की जाती है।
  • डिविडेंड यील्ड क्या है? डिविडेंड यील्ड एक वित्तीय अनुपात है जो यह मापता है कि कोई कंपनी अपने शेयरों की कीमत के लिए कितना लाभांश का भुगतान करती है।

डिविडेंड को समझने के लिए निवेशक विभिन्न स्रोतों का उपयोग कर सकते हैं, जैसे कि शेयर बाजार की वेबसाइट, वित्तीय समाचार पत्र और पत्रिकाएँ।

डिविडेंड कितने प्रकार के होते हैं? Types of dividend in hindi

डिविडेंड मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं:

  • नकद डिविडेंड (Cash Dividend): यह सबसे आम प्रकार का डिविडेंड है, जिसे कंपनी अपने शेयरधारकों को नकद में भुगतान करती है।
  • स्टॉक डिविडेंड (Stock Dividend): इस प्रकार के डिविडेंड में, कंपनी अपने शेयरधारकों को अतिरिक्त शेयरों के रूप में डिविडेंड देती है।

इनके अलावा, डिविडेंड के अन्य प्रकार भी हैं, जैसे:

  • प्रॉपर्टी डिविडेंड (Property Dividend): इस प्रकार के डिविडेंड में, कंपनी अपने शेयरधारकों को कंपनी की संपत्ति के रूप में डिविडेंड देती है।
  • स्क्रिप डिविडेंड (Scrip Dividend): इस प्रकार के डिविडेंड में, कंपनी अपने शेयरधारकों को भविष्य में नकद में भुगतान के लिए डिविडेंड के रूप में एक वचनपत्र जारी करती है।
  • लिक्विडेशन डिविडेंड (Liquidation Dividend): इस प्रकार के डिविडेंड में, कंपनी अपने शेयरधारकों को कंपनी के विघटन के बाद शेष राशि के रूप में डिविडेंड देती है।

नकद डिविडेंड

नकद डिविडेंड कंपनी के लाभांश नीति के अनुसार घोषित किया जाता है। नकद डिविडेंड की राशि आमतौर पर कंपनी के शुद्ध लाभ और कुल शेयरों की संख्या के आधार पर निर्धारित की जाती है।

नकद डिविडेंड आमतौर पर तिमाही या सालाना आधार पर भुगतान किया जाता है। नकद डिविडेंड आमतौर पर कंपनी के शेयरों की कीमत को बढ़ाने में मदद करता है।

स्टॉक डिविडेंड

स्टॉक डिविडेंड में, कंपनी अपने शेयरधारकों को अतिरिक्त शेयरों के रूप में डिविडेंड देती है। स्टॉक डिविडेंड आमतौर पर नकद डिविडेंड की तुलना में कम आम होते हैं।

स्टॉक डिविडेंड आमतौर पर कंपनी के शेयरों की संख्या को बढ़ाने में मदद करता है। स्टॉक डिविडेंड आमतौर पर कंपनी के शेयरों की कीमत को कम करने में मदद करता है।

अन्य प्रकार के डिविडेंड

प्रॉपर्टी डिविडेंड, स्क्रिप डिविडेंड और लिक्विडेशन डिविडेंड नकद डिविडेंड और स्टॉक डिविडेंड की तुलना में कम आम होते हैं।

प्रॉपर्टी डिविडेंड, स्क्रिप डिविडेंड और लिक्विडेशन डिविडेंड के नियम और शर्तें कंपनी की विशिष्ट आवश्यकताओं के आधार पर भिन्न हो सकती हैं।

Interim dividend kya hota hai? (What is interim dividend?)

अंतरिम लाभांश एक प्रकार का लाभांश है जो कंपनी अपने शेयरधारकों को अपने वित्तीय वर्ष के दौरान भुगतान करती है। अंतरिम लाभांश आमतौर पर तिमाही या अर्ध-वार्षिक आधार पर भुगतान किया जाता है।

अंतरिम लाभांश की गणना कंपनी के शुद्ध लाभ और कुल शेयरों की संख्या के आधार पर की जाती है। अंतरिम लाभांश कंपनी के वार्षिक लाभांश का एक हिस्सा होता है।

अंतरिम लाभांश का भुगतान आमतौर पर कंपनी के वार्षिक लाभांश की घोषणा के बाद किया जाता है। अंतरिम लाभांश की राशि कंपनी के वित्तीय प्रदर्शन पर निर्भर करती है।

अंतरिम लाभांश निवेशकों के लिए एक आकर्षक विकल्प हो सकता है क्योंकि यह उन्हें एक नियमित आय प्रदान कर सकता है। अंतरिम लाभांश कंपनी के शेयरों की कीमत को भी बढ़ाने में मदद कर सकता है।

अंतरिम लाभांश के कुछ लाभ निम्नलिखित हैं:

  • यह एक नियमित आय का स्रोत प्रदान कर सकता है।
  • यह कंपनी के शेयरों की कीमत को बढ़ाने में मदद कर सकता है।
  • यह निवेशकों को कंपनी के वित्तीय प्रदर्शन के बारे में जानकारी प्रदान कर सकता है।

अंतरिम लाभांश के कुछ नुकसान निम्नलिखित हैं:

  • यह निश्चित नहीं है कि कंपनी हर तिमाही या अर्ध-वार्षिक अंतराल पर लाभांश देगी।
  • अंतरिम लाभांश की राशि कंपनी के वित्तीय प्रदर्शन पर निर्भर करती है।

भारत में, अंतरिम लाभांश को आमतौर पर रुपये प्रति शेयर में व्यक्त किया जाता है।

Final dividend kya hota hai? (What is Final dividend?)

अंतिम लाभांश एक प्रकार का लाभांश है जो कंपनी अपने शेयरधारकों को अपने वित्तीय वर्ष के अंत में भुगतान करती है। अंतिम लाभांश आमतौर पर एक बार भुगतान किया जाता है।

अंतिम लाभांश की गणना कंपनी के शुद्ध लाभ और कुल शेयरों की संख्या के आधार पर की जाती है। अंतिम लाभांश कंपनी के वार्षिक लाभांश का एक हिस्सा होता है।

अंतिम लाभांश का भुगतान आमतौर पर कंपनी के वार्षिक आम बैठक में किया जाता है। अंतिम लाभांश की राशि कंपनी के वित्तीय प्रदर्शन पर निर्भर करती है।

अंतिम लाभांश निवेशकों के लिए एक आकर्षक विकल्प हो सकता है क्योंकि यह उन्हें एक नियमित आय प्रदान कर सकता है। अंतिम लाभांश कंपनी के शेयरों की कीमत को भी बढ़ाने में मदद कर सकता है।

अंतिम लाभांश के कुछ लाभ निम्नलिखित हैं:

  • यह एक नियमित आय का स्रोत प्रदान कर सकता है।
  • यह कंपनी के शेयरों की कीमत को बढ़ाने में मदद कर सकता है।
  • यह निवेशकों को कंपनी के वित्तीय प्रदर्शन के बारे में जानकारी प्रदान कर सकता है।

अंतिम लाभांश के कुछ नुकसान निम्नलिखित हैं:

  • यह निश्चित नहीं है कि कंपनी हर साल अंतिम लाभांश देगी।
  • अंतिम लाभांश की राशि कंपनी के वित्तीय प्रदर्शन पर निर्भर करती है।

भारत में, अंतिम लाभांश को आमतौर पर रुपये प्रति शेयर में व्यक्त किया जाता है।

अंतरिम लाभांश और अंतिम लाभांश के बीच अंतर:

अंतरिम लाभांश और अंतिम लाभांश के बीच निम्नलिखित अंतर हैं:

  • भुगतान की तारीख: अंतरिम लाभांश आमतौर पर तिमाही या अर्ध-वार्षिक आधार पर भुगतान किया जाता है, जबकि अंतिम लाभांश आमतौर पर एक बार भुगतान किया जाता है।
  • भुगतान की राशि: अंतरिम लाभांश की राशि कंपनी के वित्तीय प्रदर्शन के आधार पर निर्धारित की जाती है, जबकि अंतिम लाभांश की राशि आमतौर पर कंपनी के वार्षिक लाभांश का एक हिस्सा होती है।
  • वित्तीय वर्ष: अंतरिम लाभांश कंपनी के वित्तीय वर्ष के दौरान भुगतान किया जाता है, जबकि अंतिम लाभांश कंपनी के वित्तीय वर्ष के अंत में भुगतान किया जाता है।

डिविडेंड कौन देता है?

डिविडेंड कंपनी अपने शेयरधारकों को देती है। कंपनी अपने मुनाफे का एक हिस्सा अपने शेयरधारकों को नकद या स्टॉक के रूप में भुगतान करती है।

डिविडेंड की राशि कंपनी के शुद्ध लाभ और कुल शेयरों की संख्या के आधार पर निर्धारित की जाती है। कंपनी बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स द्वारा डिविडेंड की राशि, भुगतान की तारीख और अन्य शर्तें निर्धारित की जाती हैं।

डिविडेंड देने वाली कंपनियां आमतौर पर उन कंपनियों की तुलना में अधिक स्थिर और लाभदायक होती हैं जो डिविडेंड नहीं देती हैं।

डिविडेंड देने वाली कंपनियों की पहचान करने के लिए निम्नलिखित कारकों पर ध्यान देना चाहिए:

  • कंपनी का लाभांश नीति: कंपनी की लाभांश नीति में डिविडेंड की राशि, भुगतान की तारीख और अन्य शर्तें शामिल हैं।
  • कंपनी का वित्तीय प्रदर्शन: कंपनी का वित्तीय प्रदर्शन कंपनी की लाभांश क्षमता को निर्धारित करता है।
  • कंपनी का उद्योग: कुछ उद्योगों में डिविडेंड देने वाली कंपनियों की संख्या अन्य उद्योगों की तुलना में अधिक होती है।

डिविडेंड देने वाली कंपनियों में निवेश करने के कुछ लाभ निम्नलिखित हैं:

  • यह एक नियमित आय का स्रोत प्रदान कर सकता है।
  • यह निवेश के मूल्य को बढ़ाने में मदद कर सकता है।
  • यह जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है।

डिविडेंड कब मिलता है?

डिविडेंड आमतौर पर कंपनी के वित्तीय वर्ष के दौरान भुगतान किया जाता है। अंतरिम लाभांश आमतौर पर तिमाही या अर्ध-वार्षिक आधार पर भुगतान किया जाता है, जबकि अंतिम लाभांश आमतौर पर एक बार भुगतान किया जाता है।

अंतरिम लाभांश की घोषणा आमतौर पर कंपनी के वित्तीय वर्ष के दौरान की जाती है। अंतरिम लाभांश का भुगतान आमतौर पर कंपनी के वित्तीय वर्ष के अंत में किया जाता है।

अंतिम लाभांश की घोषणा आमतौर पर कंपनी के वार्षिक आम बैठक में की जाती है। अंतिम लाभांश का भुगतान आमतौर पर कंपनी के वार्षिक आम बैठक के बाद किया जाता है।

भारत में, डिविडेंड का भुगतान आमतौर पर निम्नलिखित चरणों में किया जाता है:

  1. कंपनी बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स द्वारा डिविडेंड की राशि, भुगतान की तारीख और अन्य शर्तें निर्धारित की जाती हैं।
  2. कंपनी की वार्षिक आम बैठक में डिविडेंड की घोषणा की जाती है।
  3. डिविडेंड की भुगतान की तारीख पर, कंपनी डिविडेंड के लिए पात्र शेयरधारकों की सूची तैयार करती है।
  4. डिविडेंड का भुगतान आमतौर पर चेक या बैंक खाते में जमा करके किया जाता है।

डिविडेंड कैसे मिलता है?

डिविडेंड को प्राप्त करने के लिए, निवेशक को कंपनी के शेयरों को रिकॉर्ड की तारीख से पहले खरीदना होगा। रिकॉर्ड की तारीख वह तारीख है जिस पर कंपनी डिविडेंड के लिए पात्र शेयरधारकों की सूची तैयार करती है।

डिविडेंड का भुगतान आमतौर पर चेक या बैंक खाते में जमा करके किया जाता है।

डिविडेंड का फार्मूला निम्नलिखित है:

डिविडेंड = कुल लाभांश / कुल शेयरों की संख्या

जहाँ:

  • डिविडेंड = नकद या स्टॉक के रूप में कंपनी द्वारा अपने शेयरधारकों को भुगतान किया जाने वाला लाभांश
  • कुल लाभांश = कंपनी द्वारा भुगतान किए जाने वाले कुल डिविडेंड की राशि
  • कुल शेयरों की संख्या = कंपनी द्वारा जारी किए गए कुल शेयरों की संख्या

उदाहरण:

यदि एक कंपनी ने 100 रुपये का कुल लाभांश घोषित किया है और कंपनी ने 1000 शेयर जारी किए हैं, तो प्रति शेयर डिविडेंड की राशि 0.1 रुपये होगी।

डिविडेंड = 100 / 1000 = 0.1 रुपये प्रति शेयर

डिविडेंड के प्रकार

डिविडेंड मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं:

  • नकद डिविडेंड: यह सबसे आम प्रकार का डिविडेंड है, जिसे कंपनी अपने शेयरधारकों को नकद में भुगतान करती है।
  • स्टॉक डिविडेंड: इस प्रकार के डिविडेंड में, कंपनी अपने शेयरधारकों को अतिरिक्त शेयरों के रूप में डिविडेंड देती है।

डिविडेंड के फायदे और नुकसान

डिविडेंड एक प्रकार का लाभांश है जो कंपनी अपने शेयरधारकों को भुगतान करती है। कंपनी अपने मुनाफे का एक हिस्सा अपने शेयरधारकों को नकद या स्टॉक के रूप में भुगतान करती है।

डिविडेंड के फायदे निम्नलिखित हैं:

  • नियमित आय का स्रोत: डिविडेंड एक नियमित आय का स्रोत प्रदान कर सकता है, जो निवेशकों के लिए एक महत्वपूर्ण लाभ हो सकता है।
  • निवेश के मूल्य को बढ़ाने में मदद: डिविडेंड एक कंपनी के शेयरों की कीमत को बढ़ाने में मदद कर सकता है।
  • जोखिम को कम करने में मदद: डिविडेंड देने वाली कंपनियां आमतौर पर उन कंपनियों की तुलना में अधिक स्थिर और लाभदायक होती हैं जो डिविडेंड नहीं देती हैं।

डिविडेंड के नुकसान निम्नलिखित हैं:

  • डिविडेंड की राशि कंपनी के वित्तीय प्रदर्शन पर निर्भर करती है: डिविडेंड की राशि कंपनी के वित्तीय प्रदर्शन पर निर्भर करती है। यदि कंपनी का वित्तीय प्रदर्शन खराब है, तो डिविडेंड की राशि कम या शून्य हो सकती है।
  • डिविडेंड पर कर देना पड़ता है: भारत में, डिविडेंड पर कर की दर 15% है, लेकिन 50 साल से अधिक उम्र के सीनियर सिटीजनों के लिए यह दर 7.5% है।

डिविडेंड देने वाली कंपनियों में निवेश करने के लिए निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना चाहिए:

  • कंपनी की लाभांश नीति: कंपनी की लाभांश नीति को समझना महत्वपूर्ण है। कंपनी की लाभांश नीति में डिविडेंड की राशि, भुगतान की तारीख और अन्य शर्तें शामिल होती हैं।
  • कंपनी का वित्तीय प्रदर्शन: कंपनी का वित्तीय प्रदर्शन डिविडेंड की राशि और स्थिरता को निर्धारित करता है।
  • कंपनी का उद्योग: कुछ उद्योगों में डिविडेंड देने वाली कंपनियों की संख्या अन्य उद्योगों की तुलना में अधिक होती है।

निष्कर्ष

डिविडेंड एक महत्वपूर्ण निवेश निर्णय है। डिविडेंड के फायदे और नुकसान को समझना महत्वपूर्ण है ताकि निवेशक अपने निवेश लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए उचित निर्णय ले सकें।

  • Do your own research: Before investing, it is important to do your own research and understand the company’s financial performance and its prospects for the future.
  • Don’t invest more than you can afford to lose: The stock market is volatile and there are no guarantees. Don’t invest more money than you can afford to lose.

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