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Share Market Shabdavali in Hindi : यदि आप शेयर मार्केट की दुनिया के बारे में जानना चाहते हो तथा आप भी शेयर मार्केट में निवेश करना चाहते हो जिससे की आप भी पैसा कमा सको तो इसके लिए सबसे पहले आपको शेयर मार्केट की शब्दावली के बारे में जानकारी अवश्य होनी चाहिए। प्रायः Share Market Terminology in Hindi में बहुत सारे है जिनका प्रयोग रोजाना शेयर बाजार की दुनिया में किया जाता है। अधिकतर लोगों को शेयर मार्केट में प्रयोग होने वाले शब्दों के बारे जानकारी ही नहीं होती है।
इसलिए आज के इस लेख के द्वारा हम आप सभी को शेयर मार्केट की शब्दावली के बारे में संपूर्ण जानकारी देने वाले हैं जिसकी मदद से ऐसे लोग जिनको स्टॉक मार्केट की शब्दावली के बारे में अधिक जानकारी नहीं है उनको भी शेयर मार्केट की मूल बातों के बारे में जानने के लिए मिलेगा। इस लेख में बताई शेयर मार्केट की शब्दावली से आपको शेयर मार्केट को समझने में काफी ज्यादा आसानी होगी। चलिए फिर शेयर मार्केट में प्रयोग होने वाले शब्दों के बारे में विस्तार से जानते हैं।
शेयर मार्केट की शब्दावली क्या है?
शेयर मार्केट की शब्दावली का अर्थ शेयर मार्केट में प्रयोग होने वाले विभिन्न शब्दों से हैं। शेयर मार्केट की शब्दावली का उपयोग प्रायः शेयर मार्केट में शेयर के खरीदने और बेचने के दौरान तथा अन्य क्रियाओं के दौरान किया जाता है। यह सारी शब्दावली किसी न किसी उद्देश्य को केंद्रित करने के लिए प्रयोग होती है जो हमें बताती है कि कौन सी क्रिया है किस विषय से संबंधित है। उदाहरण के लिए शेयर मार्केट एक शब्दावली है जो हमें यह दर्शाती है कि शेयर मार्केट एक स्थान है जहां पर शेयर को खरीदा और बेचा जाता है।

हमने यह नीचे शेयर मार्केट में प्रयोग होने वाले शब्दों के बारे में विस्तार से एक-एक करके जानकारी प्रदान की है।
शेयर मार्केट का अभिप्राय एक ऐसे स्थान से हैं जहां पर स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध विभिन्न कंपनियों के शेयर को खरीदा और बेचा जाता है अलग-अलग निवेशकों द्वारा। जैसे की एक भौतिक बाजार में वस्तुओं को खरीदा जाता है और बेचा जाता है उसी प्रकार शेयर मार्केट में शेयर को खरीदा और बेचा जाता है। शेयर मार्केट को स्टॉक मार्केट या शेयर बाजार भी कहते है।
शेयर का अभिप्राय किसी भी कंपनी की संपत्ति के सबसे छोटे हिस्से से होता है। शेयर का अर्थ अंश यानी के हिस्सा होता है। किसी भी कंपनी की कुल संपत्ति छोटे-छोटे हिस्सों में विभाजित होती है और सबसे छोटे हिस्से को शेयर कहा जाता है। यदि आप किसी कंपनी के शेयर खरीदते हो तो आपको उस कंपनी में हिस्सेदारी मिलती है यानी कि आप उस कंपनी के सदस्य बन जाते हो।
शेयरधारक वह व्यक्ति होता है जो शेयर मार्केट में सूचीबद्ध किसी भी कंपनी का शेयर खरीदता है और अपने पास होल्ड करके रख लेता है।
4. कंपनी (Company)
कंपनी विधान द्वारा निर्मित एक कृत्रिम व्यक्ति होता है जो अपने नाम पर संपत्ति खरीद सकती है, बेच सकती है और किसी दूसरे कंपनी पर वाद प्रस्तुत कर सकती हैं। कंपनी की अपनी एक सार्वमुद्रा होती है जिसे वह हस्ताक्षर के रूप में उपयोग करती हैं। कंपनी का निर्माण विधान द्वारा होता है और समापन भी विधान द्वारा ही होता है।
5. स्टॉक एक्सचेंज (Stock Exchange)
स्टॉक एक्सचेंज एक ऐसी संस्थान है जहां पर स्टॉक मार्केट के द्वारा अपने शेयर का क्रय विक्रय करने वाली कंपनियों को सूचीबद्ध किया जाता है ताकि उनके शेयर को खरीदा और बेचा जा सके। स्टॉक एक्सचेंज दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है। स्टॉक का अर्थ शेयर से है और एक्सचेंज का अर्थ है खरीदना और बेचना।
जब कभी कोई कंपनी अपने द्वारा अर्जित लाभों में से बनाए गए रिजर्व को शेयर के रूप में अपने शेयरधारकों के बीच बांट देती है तो उसे बोनस शेयर कहा जाता है। बोनस शेयर बांटने से शेयरधारकों के पास जितने शेयर होते हैं तो उनकी संख्या में बढ़ोतरी हो जाती है। यदि कोई कंपनी 3:2 बोनस देने की घोषणा करती है तो इसका अर्थ हुआ कि जिन शेयरधारकों के पास 2 शेयर थे अब उनके पास 3 शेयर हो जायेंगे।
7. डिविडेंड (Dividend)
जब कभी कंपनी को नेट प्रॉफिट में अधिक प्रॉफिट मिलता है तब वह अपने कंपनी के शेयरधारकों को रिवार्ड के रूप में इस प्रॉफिट का कुछ हिस्सा आवंटित कर देती हैं जिसे की लाभांश कहा जाता है। अर्थात शेयरधारकों को उनके द्वारा अर्जित लाभ के अतिरिक्त जो प्रॉफिट दिया जाता है उसे लाभांश कहते हैं। लाभांश शेयरधारको के अकाउंट में सीधा क्रेडिट कर दिया जाता है।
8. बीड प्राइस (Bid Price)
किसी शेयर की वह कीमत होती है जिस पर एक व्यक्ति या निवेशक उस शेयर को खरीदने के लिए तैयार हो जाता है उसे बीड प्राइस कहते हैं। उदाहरण के लिए पीएनबी (PNB) के 1 शेयर की कीमत ₹600 हैं और आप उस शेयर को ₹600 में खरीदने के लिए अपना आर्डर प्लेस कर देते हो तो इस मूल्य को बीड प्राइस कहा जाएगा।
9. आस्क प्राइस (Ask Price)
किसी शेयर की वह कीमत जिस पर कोई विक्रेता उस शेयर को बेचने के लिए तैयार हो जाता है उसे आस्क प्राइस कहते हैं।
10. स्प्रेड (Spread)
किसी शेयर के Bid Price और Ask Price के बीच के अंतर को स्प्रेड (Spread) कहा जाता है।
11. स्टॉक स्प्लिट (Stock Split)
किसी भी कंपनी के स्टॉक्स के विभाजन की प्रक्रिया को स्टॉक स्प्लिट कहा जाता है। यह एक ऐसा कॉरपोरेट विभाजन प्रक्रिया होती है जिसके अनुसार कंपनी अपने स्टॉक्स को एक निश्चित अनुपात में विभाजित करने का निर्णय लेती है और स्टॉक्स को विभक्त कर देती है।
स्टॉक स्प्लिट की प्रक्रिया के अनुसार कंपनी के स्टॉक्स टुकड़ों में बंट जाते है जिससे प्रत्येक नए टुकड़े से एक नए शेयर कर निर्माण होता है। स्टॉक स्प्लिट के कारण शेयर बाजार में कंपनी के शेयरों की संख्या बढ़ जाती है।
इसके अतिरिक्त कंपनी के प्रत्येक शेयर की कीमत और फेस वैल्यू भी उसी अनुपात के अनुसार कम हो जाते है जिस अनुपात में स्टॉक स्प्लिट होते है।
उदाहरण के लिए मान लीजिए किसी कंपनी ABC नामक कंपनी के पास 20 शेयर है जिसके प्रत्येक शेयर की कीमत ₹2000 है और इस कुल शेयर पूंजी कंपनी के पास ₹40000 (20000×20) है।
इसके बाद कंपनी ABC यह निर्णय लेती है की वह अपने शेयरों को 2:1 में स्प्लिट के देगी जिसका अर्थ होगा की कंपनी का 1 शेयर विभाजित होकर 2 नए शेयर बन जायेंगे। इसके अलावा शेयर प्राइस और फेस वैल्यू भी कम हो जायेंगे।
जैसे ही स्टॉक स्प्लिट की प्रक्रिया संपन्न होगी तो ABC कंपनी के 20 शेयर 40 शेयर में बदल जायेंगे और साथ ही 1 शेयर की कीमत ₹2000 से कम होकर ₹1000 रह जायेगी जबकि फेस वैल्यू 20 रुपए से घटकर 10 रुपए रह जायेगी।
12. बुल मार्केट (Bull Market)
स्टॉक मार्केट में जब तेजी आती है तो उसे बुल मार्केट कहा जाता है अर्थात बुल मार्केट के दौरान निवेशक शेयर की कीमतों में बढ़ोतरी की उम्मीद करते हैं।
13. बेयर मार्केट (Bear Market)
शेयर मार्केट में मंदी के दौर को बेयर मार्केट कहा जाता है और इस दौरान निवेशक को यह लगता है की शेयर की कीमतों में गिरावट आएगी।
14. लिमिट ऑर्डर (Limit Order)
जब Buy और Sell का ऑर्डर एक निश्चित कीमत पर लगाया जाता है तो उसे लिमिट ऑर्डर कहा जाता है। कोई भी ऑर्डर तभी Execute होता है जब यह प्राइस हिट होता है।
उदाहरण के लिए मान लीजिए आप SBI के एक शेयर की कीमत 515 रुपए है और उसे आप 510 रुपए पर खरीदना चाहते हो। ऐसी स्थिति में लिमिट ऑर्डर प्रक्रिया आपको अपनानी होगी।
इसके लिए जब आप शेयर का ऑर्डर प्लेस करोगे तो आपको 510 रुपए की राशि लिखनी होगी और जब भी शेयर की कीमत 515 से 510 पर आ जायेगी तो शेयर ऑर्डर खुद ही एक्जीक्यूट हो जायेगा तथा शेयर आपके डीमैट अकाउंट में आ जायेगा।
15. मार्केट ऑर्डर (Market Order)
जब कोई व्यक्ति किसी शेयर को मार्केट कीमत के अनुसार Buy और Sell करता है तो उसे मार्केट ऑर्डर कहा जाता है। मान लीजिए आपने SBI का शेयर खरीदा जिसकी कीमत 600 रुपए है लेकिन जब वह शेयर आपके डीमैट अकाउंट में आयेंगे तो हो सकता है उसकी कीमत बढ़कर 610 हो जाए या घटकर 595 रह जाए। मार्केट ऑर्डर पर शेयर खरीदने से आपको फायदा और नुकसान दोनो हो सकता है।
16. Intraday (इंट्राडे)
जब निवेशक शेयरों को एक दिन में खरीदता है और उसी दिन बेच देता है तो उसे इंट्राडे कहा जाता है।
17. ब्रोकर (Broker)
ब्रोकर को दलाल भी कहा जाता है। ब्रोकर वह व्यक्ति होता है जो शेयर मार्केट में क्रेता (Buyer) और विक्रेता (Seller) को मिलाने का काम करता है। ब्रोकर शेयर मार्केट और क्रेता विक्रेता के बीच मध्यस्थ का काम करता है जो क्रेता विक्रेता की ओर से शेयर को खरीदता और बेचता है।
पहले यह कार्य ऑफलाइन तरीके से होता था लेकिन आज के समय में ऑनलाइन ब्रोकिंग ऐप्स के द्वारा घर बैठे यह सारा कार्य किया जाता है जिसकी वजह से समय और पैसे की बचत होती है।
18. सिक्योरिटी (Securities)
सिक्योरिटी को हिंदी में प्रतिभूति कहा जाता है। स्टॉक, बांड, डिवेंचर आदि को प्रतिभूति कहते हैं। यह वित्तीय संपत्ति होते हैं जिनको खरीदा और बेचा जा सकता है तथा इनकी अपनी कीमत होती हैं।
19. फॉरेक्स मार्केट (Forex Market)
ऐसे मार्केट को फॉरेक्स मार्केट कहां जाता है जहां पर करेंसी यानी कि रुपए, डॉलर, पाउंड आदि जैसी करेंसी को खरीदा और बेचा जाता है।
20. कमोडिटी मार्केट (Commodity Market)
कमोडिटी मार्केट वह मार्केट होती है जहां पर गोल्ड, सिल्वर, कॉपर आदि को खरीदा और बेचा जाता है।
21. बॉन्ड (Bond)
जब कंपनियां या फिर गवर्नमेंट आम जनता से सीधे तौर पर पैसे उधार लेती है तथा बदले में उनको जो सर्टिफिकेट देती है उसे बॉन्ड कहा जाता है। बॉन्ड काफी ज्यादा सुरक्षित होते हैं क्योंकि इनमें सरकार भी शामिल होती हैं।
जब कोई कंपनी बैंक से लोन लेती है तो उसे लोन कहा जाता है परंतु वही कंपनी जब जनता से सीधे तौर पर पैसे उधार लेती हैं तो उसे बॉन्ड कहा जाता है।
22. कूपन रेट (Coupon Rate)
जिस ब्याज दर पर जब कोई कंपनी या सरकार आम जनता से उधार पैसे लेती और बदले में उनको बॉन्ड देती हैं तो उस बॉन्ड पर अंकित ब्याज दर को कूपन रेट कहा जाता है।
23. ऋणपत्र (Debenture)
डिवेंचर यानी की ऋणपत्र भी बांड के समान होते हैं परंतु बस फर्क इतना है कि बांड सरकार और कंपनी दोनों जारी कर सकती है परंतु ऋणपत्र केवल कंपनी ही जारी करती हैं। ऋणपत्र बांड के मुकाबले कम सुरक्षित होते हैं।
24. वॉल्यूम (Volume)
वॉल्यूम का अर्थ है की कोई स्टॉक कितनी मात्रा में मार्केट में ट्रेड यानी की खरीदे और बेचे जा रहे है।
25. वोलेटिलिटी (Volatility)
स्टॉक मार्केट में शेयर की कीमतों में आने वाले उतार-चढ़ाव को वोलेटिलिटि कहां जाता है।
26. लिक्विडिटी (Liquidity)
शेयर मार्केट में लिक्विडिटी यानी की तरलता का अर्थ होता है कि आप किसी शेयर को कितनी जल्दी बेचकर उसे पैसों में बदल सकते हो।
27. इंडेक्स (Index)
स्टॉक्स, बांड और अन्य प्रतिभूतियों के प्रदर्शन को नापने वाले सूचकांक को इंडेक्स कहा जाता है जैसे की Sensex, Nifty 50 आदि।
28. सेंसेक्स (Sensex)
शेयर मार्केट में सेंसेक्स एक तरह का सूचकांक है जो BSE में सूचीबद्ध 5000 कंपनी में से टॉप 30 कंपनियों के प्रदर्शन को दर्शाती है। उदाहरण के लिए यदि सेंसेक्स ऊपर जा रहा है तो कंपनियां बेहतर प्रदर्शन कर रही है और अगर सेंसेक्स नीचे गिर रहा है तो कहा जायेगा की कंपनियां खराब प्रदर्शन कर रही है।
29. निफ्टी 50 (Nifty 50)
निफ्टी50 भी सेंसेक्स की तरह ही एक सूचकांक है जो NSE में सूचीबद्ध 1600 कंपनियों में से टॉप 50 कंपनियों के प्रदर्शन को दर्शाती है।
30. म्यूचुअल फंड (Mutual Fund)
यह एक व्यवस्थित निवेश योजना है जिसके तहत लोग अपना निवेश करने के लिए एक कंपनी के फंड मैनेजर को देते है और वह फंड मैनेजर लोगों के पैसों को अपने अनुभव के अनुसार अलग अलग जगहों पर निवेश करता है।
31. एसआईपी (SIP)
म्यूचुअल फंड के विभिन्न स्कीमों में पैसा निवेश करने का यह एक तरीका है जिसके अंतर्गत एक निश्चित राशि म्यूचुअल फंड में हर महीने निवेश की जाती है जैसे की 500, 1000, 2000 आदि।
32. लंपसम (Lump Sum)
यह भी म्यूचुअल फंड में निवेश करने का एक जरिया है लेकिन यहां पर एक मुश्त राशि को निवेश किया जाता है यानी की एक साथ बहुत सारे पैसे को निवेश किया जाता है न की थोड़ा थोड़ा करके निवेश किया जाता है जैसे की 20000, 30000 आदि।
33. इंडेक्स फंड (Index Fund)
इंडेक्स फंड भी पैसा निवेश करने का जरिया है लेकिन यहां पर लोगों से प्राप्त पैसे को किसी फंड मैनेजर को नही दिया जाता है बल्कि कंपनी खुद ही पैसे को निवेश करती है। इंडेक्स फंड में पैसा निफ्टी 50, सेंसेक्स जैसे सूचकांक में पैसा लगाया जाता है।
34. ईटीएफ (ETF)
यह भी एक तरह के प्रतिभूति होते है जो स्टॉक और अन्य प्रतिभूतियों का समूह होते है। लेकिन यह किसी विशेष इंडेक्स और सेक्टर से संबंध रखते है। ईटीएफ भी शेयर की तरह स्टॉक एक्सचेंज में ट्रेड होते है और साथ ही इसे खरीदा तथा बेचा जा सकता है। लेकिन इसे सिर्फ शेयर मार्केट वाली कंपनी से खरीदा या बेचा जा सकता है, किसी म्यूचुअल फंड कंपनी से नही।
35. सेबी (SEBI)
Securities And Exchange Board Of India, SEBI का पूरा नाम है। जिस प्रकार भारत में स्थिति सभी बैंकों पर निगरानी के लिए आरबीआई (RBI) की स्थापना की गई है ठीक उसी तरह से सभी शेयर बाजारों पर निगरानी के लिए SEBI की स्थापना की गई है। सेबी निवेशकों के हितों की सुरक्षा की जिम्मेदारी उठाती है।
36. ट्रेडिंग (Trading)
ट्रेडिंग का अर्थ होता है शेयर को थोड़े समय के लिए खरीदना और फिर बेच देना।
37. डिलीवरी ऑर्डर (Delivery Order/CNC)
CNC का पूरा नाम Cash And Carry होता है। जब आप शेयर की वास्तविक डिलीवरी उठाते तभी जाके CNC या डिलीवरी ऑर्डर के सौदे किए जाते है। लंबे समय तक शेयर को होल्ड करके रखने के लिए CNC या डिलीवरी ऑर्डर का उपयोग किया जाता है।
38. MIS या इंट्राडे ऑर्डर
Margin Intraday Square-Off ही MIS का पूरा नाम है। किसी शेयर मार्केट में किसी एक ट्रेडिंग दिन में होने वाली उठा-पटक का फ़ायदा उठाना चाहते हो तो MIS या इंट्राडे ऑर्डर का चुनाव करना पड़ता है। इस तरह के ऑर्डर में शेयर की वास्तविक डिलीवरी आपको नही मिलती है।
39. पोर्टफोलियो (Portfolio)
आपके द्वारा ख़रीदे गए अलग-अलग शेयर्स, म्यूच्यूअल फण्ड या दूसरे इंस्ट्रूमेंट जैसे की बॉन्ड्स, डिबेंचर आदि के संग्रह को पोर्टफोलियो कहा जाता है। आपके पोर्टफोलियो में सिर्फ शेयर भी हो सकते या फिर अन्य प्रतिभूतियां भी।
40. होल्डिंग (Holdings)
होल्डिंग का अर्थ है की आपकी किसी कंपनी में कितने प्रतिशत की हिस्सेदारी है।
41. बीएसई (BSE)
BSE का पूरा नाम Bombay Stock Exchange है जो की भारत का सबसे पुराना और दूसरा सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है।
42. एनएसई (NSE)
NSE का पूरा नाम National Stock Exchange है जो की भारत का सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है।
जब किसी कंपनी के शेयर को किसी बैंक के पास गिरवी रखा जाता है तो उन गिरवी रखे हुए शेयरों को प्लेज शेयर कहा जाता है। कंपनी अपने शेयर को बैंक के पास गिरवी तब रखती है जब कंपनी के प्रमोटर या मालिक को कंपनी की ग्रोथ के लिए पैसों की आवश्यकता होती है। लेकिन वह शेयर जारी करके पैसे नही प्राप्त करना चाहता है तो वह उस स्थिति में कंपनी के शेयरों को बैंक के पास गिरवी रखता है और बदलें में पैसे लेता है।
44. आईपीओ (IPO)
शेयर मार्केट में जब कोई कंपनी पहली बार अपने शेयरों को निवेशकों के बीच खरीदने और बेचने के लिए जारी करती है तो उसे IPO कहा जाता है। आईपीओ का पूरा नाम इनिशियल पब्लिक ऑफर है। जब कोई प्राइवेट कंपनी पब्लिक कंपनी में बदलती है तब आईपीओ होता है।
45. फेस वैल्यू, (Face Value)
कंपनी जब खुद को शेयर मार्केट में रजिस्टर करती है और उसके बाद जो शेयर कंपनी जारी करती है तो उसकी कीमत शेयर सर्टिफिकेट पर अंकित होती हैं। अतः शेयर सर्टिफिकेट पर शेयर की जो कीमत अंकित होती है उसे फेस वैल्यू कहा जाता है।
46. बुक वैल्यू (Book Value)
जब कंपनी अपने सभी संपत्तियों (Assets) को बेच देती है और सभी दायित्व (Liabilities) को चुका देती है तो उसके बाद जो पैसा बचता है उसे बुक वैल्यू कहा जाता है। सामान्य शब्दों में कहा जाए तो कंपनी के संपत्ति और दायित्व के बीच के अंतर को बुक वैल्यू कहते हैं
47. मार्केट कैपिटलाइजेशन (Market Capitalization)
किसी कंपनी द्वारा जारी किए गए सभी शेयर और उन सभी शेयरों की कीमत की मार्केट वैल्यू को मार्केट कैपिलाइजेशन कहते है। यानी की कंपनी के सभी शेयरों को कंपनी के शेयरों की कीमत से गुना करने पर मार्केट कैपिटलाइजेशन की गणना की जाती है।
Market Capitalization = Total Shares × Share Price
48. लार्ज कैप कंपनी (Large Cap Company)
जिस कंपनी की मार्केट कैपिटलाइजेशन 20000 करोड़ रुपए से अधिक होती है उसे लार्ज कैप कंपनी कहा जाता है।
49. मिड कैप कंपनी (Mid Cap Company)
जिस कंपनी की मार्केट केपीटलाइजेशन 5000 करोड़ रुपए से लेकर 20000 रुपए करोड़ के बिच होती है तो उसे मिड कैप कंपनी कहते है।
50. स्मॉल कैप कंपनी (Small Cap Company)
सामान्यतः 5000 करोड़ रुपए से कम मार्केट केपीटलाइजेशन वाली कंपनी को स्मॉल कैप कंपनी कहते हैं।
51. पेनी स्टॉक (Penny Stock)
ऐसे स्टॉक्स को पेनी स्टॉक्स कहा जाता है जिनकी कीमत ₹10 से कम या 10 रुपए से लेकर ₹20 के बीच होती है।
52. ब्लू चिप (Blue Chip)
शेयर मार्केट की वह कंपनियां बड़ी और भरोसेमंद कंपनियां जिन पर निवेशक आंख बंद करके भरोसा करते है क्योंकि यह कंपनियां निवेशकों को धोखा देकर भागने वालों में से नहीं होती है। अतः ऐसे कंपनियां ब्लूचिप वाली कंपनियां कहलाती है।
53. मल्टीबेगर रिटर्न / (स्टॉक Multibagger Return / Stock)
सामान्य शब्दों में कहा जाए तो मल्टीबैगर का मतलब हुआ 2 गुना 4 गुना 10 गुना आदि। अर्थात यदि कोई शेयर इस प्रकार का प्रदर्शन करती हैं और उस शेयर में बहुत ही कम समय में तेजी आती है जिससे निवेशकों को कम समय में अधिक फायदा होता है तो उसे मल्टीबैगर स्टॉक कहते हैं तथा उस पर प्राप्त होने वाले रिटर्न को मल्टीबैगर रिटर्न कहा जाता है।
54. एनुअल रिपोर्ट (Annual Report)
जब एक कंपनी पूरे साल में जो भी गतिविधि करती है तो उन गतिविधियों एक रिपोर्ट का रूप प्रदान करते है जिसमें पूरे 12 महीनों में की गई गतिविधि रिकॉर्ड होती है। अतः उसे ही एनुअल रिपोर्ट यानी की वार्षिक रिपोर्ट कहा जाता है।
55. क्वार्टरली रिपोर्ट (Quarterly Report)
क्वार्टरली रिपोर्ट भी एनुअल रिपोर्ट के समान ही होता है लेकिन यहां पर फर्क सिर्फ इतना होता है कि एनुअल रिपोर्ट पूरे साल भर का रिपोर्ट होता है यानी कि 12 महीनों का जबकि क्वार्टरली रिपोर्ट 3 महीने की गतिविधि को दर्शाता है।
56. 52 वीक हाई (52 Week High)
शेयर मार्केट में सूचीबद्ध किसी कंपनी के शेयर की कीमत पिछले 52 हफ्तों में जब सबसे ज्यादा होती है तो उसे 52 वीक हाई (52 Week High) कहा जाता है।
57. 52 वीक लो (52 Week Low)
शेयर मार्केट में सूचीबद्ध किसी कंपनी के शेयर की कीमत पिछले 52 हफ्तों में सबसे कम होती है तो उसे 52 वीक लो (52 Week Low) कहते हैं।
58. बाय बैक (Buy Back)
स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध कोई कंपनी जब स्टॉक मार्केट से अपने ही शेयर को खरीदती है तो उसे बाय बैक कहा जाता है।
59. इंट्रिसिक वैल्यू (Intrinsic Value)
कंपनी के असल यानी की सही वैल्यू को इंट्रिंसिक वैल्यू कहा जाता है। अर्थात जब कोई कहता हैं कि इस कंपनी की इतनी वैल्यू होनी चाहिए तो उस वैल्यू को इंट्रिसिक वैल्यू कहते हैं।
आउटस्टैंडिंग शेयर्स किसी कंपनी के वह शेयर होते हैं जो स्टॉक एक्सचेंज में ट्रेड हो रहे होते हैं।
61. ईपीएस (EPS)
ईपीएस का पूरा नाम अर्निंग पर शेयर (Earning Per Share) है। जब कोई निवेशक अपने एक शेयर से जितना पैसा कमाता है तो उसे ईपीएस यानी की अर्निंग पर शेयर कहा जाता है।
62. स्टॉक चिन्ह (Stock Symbol)
ऐसे चिन्ह जो शेयर मार्केट में सूचीबद्ध कंपनियों को दर्शाते है, अतः ऐसे चिन्हों को स्टॉक चिन्ह (Stock Symbol) कहा जाता है।
63. स्टॉप लॉस ऑर्डर (Stop Loss Order)
शेयर मार्केट में होने वाले नुकसानों से बचने के लिए Stop Loss का उपयोग किया जाता है। इसके अंतर्गत एक निवेशक अपने खरीदे हुए शेयर को एक निश्चित कीमत पर पहुंचने के बाद उसे बेचने का ऑर्डर ब्रोकर को दे देता है जिससे उसको कम से कम नुकसान हो।
64. शॉर्ट सेलिंग (Short Selling)
शॉर्ट सेलिंग की स्थिति में ट्रेडर्स शेयर को उधार में लेते है। सामान्य ट्रेडिंग में तो पहले शेयर को खरीदा जाता है फिर उसे बेचा जाता है लेकिन शॉर्ट सेलिंग के दौरान पहले शेयर को बेचा जाता है फिर उसे खरीदा जाता है।
65. इनसाइडर ट्रेडिंग (Insider Trading)
जब कंपनी से संबंध रखने वाले किसी व्यक्ति के पास कंपनी से जुड़ी हुई गुप्त जानकारियां होती है जिसका उपयोग करके वह गुप्त तरीके से भारी मात्रा में शेयर का क्रय विक्रय करके गुप्त लाभ कमाता है जिसके बारे में कंपनी को कोई जानकारी नहीं होती है तो उसे इनसाइडर ट्रेडिंग कहा जाता है। यह एक तरह से अवैध क्रिया होती है।
66. कॉर्पोरेट एक्शन (Corporate)
कंपनी के संबंध में जब भी कंपनी के मैनेजमेंट द्वारा कोई निर्णय लिया जाता है तो इसे कॉरपोरेट एक्शन कहा जाता है। कॉर्पोरेट एक्शन के अंतर्गत डिविडेंड, राइट शेयर, बोनस शेयर आदि से संबंधित निर्णय लिए जाते है।
67. ट्रेडिंग अकाउंट (Trading Account)
शेयर मार्केट के द्वारा शेयर खरीदने और बेचने के लिए जिस अकाउंट का उपयोग किया जाता है उसे ट्रेडिंग अकाउंट कहा जाता है।
68. डिमैट अकाउंट (Demat Account)
जो भी शेयर आप शेयर मार्केट से खरीदते हो उसे रखने के लिए आपके पास डीमैट अकाउंट होना चाहिए। डिमैट अकाउंट में आपके द्वारा खरीदे गए शेयर डिजिटल रूप में स्टोर होते है। जैसा आपका बैंक अकाउंट कार्य करता है बिलकुल उसी तरह से डीमैट अकाउंट भी कार्य करता है।
69. कॉन्ट्रैक्ट नोट (Contract Note)
जो भी व्यक्ति शेयर मार्केट से शेयर खरीदता है या बेचता है तो स्टॉकब्रोकर द्वारा उस व्यक्ति को एक कॉन्ट्रैक्ट नोट दिया जाता है जिसमें शेयर की खरीदारी से संबंधित जानकारी होती है जैसे शेयर की कीमत, टैक्स, ब्रोकरेज आदि।
70. बीटीएसटी (BTST)
जब किसी शेयर को आज खरीदकर कल बेच दिया जाता है तो उसे BTST यानी Buy Today Sell Tomorrow कहा जाता है।
अतः यह थे कुछ Share Market Terminology in Hindi जिनके बारे में आपको हमने सरल से सरल शब्दों में समझाने का प्रयास किया है।
शेयर मार्केट की शब्दावली – सारांश
इस लेख को अगर आपने अंत तक पढ़ा होगा तो आपको अब शेयर मार्केट की शब्दावली संपूर्ण रुप से समझ में आ चुकी होगी क्योंकि इस लेख में हमने सरल शब्दों में शेयर मार्केट में प्रयोग होने वाले शब्दों के बारे में आप सभी को विस्तार से जानकारी प्रदान की है। आशा करते हैं कि Share Market Terminology in Hindi के ऊपर लिखा गया यह लेख आपको पसंद जरूर आया होगा। यदि यह ब्लॉग पोस्ट पसंद आए तो इसको अन्य पाठकों के साथ भी शेयर करें।
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